Friday 27 September 2013

गायक मोहम्मद रफ़ी - [गायकों का पहला / आखिरी गाना-2]

जन्म : 24 दिसम्बर 1924
मृत्यु : 31 जुलाई 1980 

Mohammad Rafi : First / Last Song 
मोहम्मद रफ़ी जी ने शास्त्रीय संगीत की तालीम उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ, उस्ताद अब्दुल वाहिद खाँ, पंडित जीवन लाल मट्टू और फ़िरोज़ निजामी से हासिल की ! रफ़ी साहब जब 13 साल के थे, तब लाहौर में के.एल.सहगल के कार्यक्रम में पहली बार अपनी गायन प्रतिभा को दर्शकों के समक्ष रखा !  वहीँ उस समय के प्रसिद्द संगीतकार श्याम सुन्दर भी उपस्थित थे, वो रफ़ी की आवाज़ से बहुत प्रभावित हुए और रफ़ी को गाने का प्रस्ताव दिया ! 

मोहम्मद रफ़ी ने अपना पहला गीत - 'सोणिए नी, हीरिए नी …' श्याम सुंदर के संगीत निर्देशन में फ़िल्म गुल बलोच (1944) के लिए गाया ! मोहम्मद रफ़ी ने बम्बई आने का फैसला किया। उन्हें संगीतकार नौशाद ने फ़िल्म 'पहले आप' (1944) में गाने का मौका दिया। 

[Rafi's first song with Naushad was 'Hindustan Ke Hum Hain' with Shyam Kumar, Alauddin and others,from A.R.Kardar's Pehle Aap (1944). Around the same time, Rafi recorded another song for the 1945 film Gaon Ki Gori, 'Aji Dil Ho Kaaboo Mein'. He considered this song his first Hindi language song.]

हिन्दुस्तान के हम हैं हिंदुस्तान हमारा 
हिन्दू मुस्लिम दोनों की आँखों का तारा
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रफ़ी साहब ने आखिरी गाना गीतकार आनंद बख्शी और संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल 
के संगीत निर्देशन में फ़िल्म 'आस पास' (1981) के लिए गाया था -

'शाम फिर क्यूँ उदास है दोस्त, तू कहीं आस पास है दोस्त 
महकी महकी फिजां ये कहती है, तू कहीं आस पास है दोस्त'
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