Friday 25 October 2013

मन्ना डे के लिए विकट चुनौती थी

[अनोखी और दिलचस्प जानकारी - 17]
फिल्म जगत की बातें निराली होती हैं और कई बार ऐसी स्थितियां आ जाती हैं जिन्हें अच्छे -अच्छे भी झेलना मुश्किल समझते हैं ! अपने अहम् और कद को एक तरफ रख कर समझौते करने पड़ते हैं !

शास्त्रीय गायन के उस्ताद को कहा जाए कि वह नौसिखीये के सामने जानबूझकर हार जाए तो उस के लिए यह काम आसान न होगा ,कभी उसका अहम् कभी उसकी काबिलियत आड़े आयेगी ही ! ऐसी ही स्थिति मन्ना डे की हुई थी जब उन्हें फिल्म बसंत बहार के लिए एक गाना गाने को कहा गया और उस में उन्हें शास्त्रीय संगीत के महान गायक के गायन को अपनी गायकी से कमतर साबित करते हुए फिल्म के नायक को जीत दिलवानी थी !

दोनों गायकों के लिए यह बेहद कठिन होता  है लेकिन संगीतकारों के आगे उनकी न चली और उन्हें जैसा कहा गया वैसा गाना पड़ा ... मेरे विचार में ऐसा कर पाना  भी तो उनकी श्रेष्ठता को ही साबित करेगा !
इस गीत में कैसे उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान गायक भारत रत्न  पंडित भीमसेन जोशी के साथ सुरों की जंग में 'जानबूझकर तय की  हुई 'जीत मिली -- 
आप भी सुने ---
केतकी गुलाब जूही चम्पक बन फूले
Song - Ketaki Gulaab Juhi Champak Ban Phoole
Film - Basant Bahar (1956)
Music - Shankar Jaikishan
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ऐसे ही एक बार उन्हें एक  गाने में  किशोर कुमार के आगे हार जाना को कहा गया !मन्ना डे को बड़ा अटपटा लगा संगीतकार से प्रश्न किया कि गीत में गाये जाने वाली किशोर कुमार की उस सरगम और तान का वास्तविक संगीत से कोई लेना देना नहीं , लेकिन फिर संगीतकार के  आगे हार माननी पड़ी ऐसा करपाना भी सिद्ध गायक के लिए बड़ी चुनौती होती है बिलकुल उसी तरह जिस तरह किसी अच्छे तैराक से कहो कि जानबूझकर डूब जाए !  
और इस गाने में उन्हें किशोर कुमार से हार जाना पड़ा
गाना - एक चतुर नार करके सिंगार
Song - Ek Chatur Naar Karke Sringaar
Film - Padosan (1968)
Music - R.D.Burman
Lyrics - Rajendra Kishan
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अब इन्हीं गीतों के बारे में अभिनेता महमूद और मन्ना जी के संस्मरण सुनिये -
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