Friday 15 November 2013

गायिका मुबारक बेगम : (गायकों का पहला / आखिरी गाना- 9)

Mubarak Begum : First / Last Song
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मुबारक बेगम ने 50 के दशक में अपने करियर की शुरुआत रेडियो से की थी लेकिन जल्दी ही वो फिल्मों में गाने लगीं। राजस्थान की रहने वाली मुबारक बेगम ने जब फ़िल्म 'हमारी याद आएगी...' (1961) के शीर्षक गीत 'कभी तनहाईयों में यूं हमारी याद आएगी…' और फिल्म 'हमराही' (1963) के लिए ‘मुझको अपने गले लगा लो…’ गाया, तब वह रातों रात मशहूरी की बुलंदियों पर आ खड़ी हुयी थीं ! कहते हैं की उनका ऑटोग्राफ लेने के लिए लंबी कतार लगती थी।

मुबारक बेगम ने फ़िल्म 'आईए' के लिए अपना पहला पार्श्वगीत 'मोहे आने लगी अंगड़ाई…' रेकॉर्ड कराया। याक़ूब और सुलोचना चटर्जी की मुख्य भूमिकाओं वाली 1949 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म के संगीतकार थे शौक़त हैदरी देहलवी जो आगे चलकर नाशाद के नाम से मशहूर हुए थे। गीतकार थे नख़्शब। 
Song - Mohe Aane Lagi Angdaayi
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मुबारक बेगम ने अपने आख़िरी गीत फ़िल्म 'रामू तो दीवाना है' के लिए साल 1980 में रेकॉर्ड किए थे। चन्द्रू के संगीत में उनके गाए वो दो गीत थे -  'आओ तुझे मैं प्यार करूं...' और 'सांवरिया तेरी याद में...'
Song - Sanvariya Teri Yaad Men
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Song - Aao Tujhe Main Pyar Karun
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एक बार एक साक्षात्कार में गायिका मुबारक बेगम ने बताया था कि जैसे जैसे उनका नाम होता गया,उनके  ख़िलाफ़ साज़िशें रची जाने लगीं।"  'परदेसियों से ना अंखियां मिलाना..' (फ़िल्म - जब जब फूल खिले) और 'अगर मुझे न मिले तुम..' (फ़िल्म - काजल) गीत उनकी आवाज़ में रेकॉर्ड किए गए  परन्तु जब ये गीत बाज़ार में आए तो उनमें  उनकी  आवाज़ नहीं  थी। 1970 का दशक शुरू होते होते उन्हें  वाकई इंडस्ट्री से बाहर हो जाना पड़ा। और अगर कभी-कभार गाने का मौक़ा मिला भी तो उनमें से मुबारक जी का  एक भी गीत बाज़ार में नहीं आया 


आज  दुर्भाग्यवश  मशहूर प्लेबैक सिंगर और गजल गायिका मुबारक बेगम  मुम्बई के जोगेश्वरी में एक छोटे से घर में  ग़रीबी में अपने  दिन गुजार रही हैं।उनका बेटा टेक्सी चला कर किसी तरह घर चला रहा हैसरकार ७०० रूपये पेंशन देती है.उनकी बेटी पार्किन्सन रोग  से पीड़ित है ,उसका खर्चा भी वही करती हैं
कभी  उनकी गजलों और गानों की जो  दुनिया दीवानी  थी आज उसी दुनिया ने उन्हें बेगाना कर दिया है

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